यदि आप या आपके परिवार के किसी सदस्य के साथ सड़क दुर्घटना हो जाती है, तो भारतीय कानून के तहत उचित मुआवजा लेने का आपको पूरा अधिकार है। इसके लिए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988) में साफ नियम निश्चित हैं। सही प्रक्रिया और दस्तावेजों के आधार पर आसानी से मुआवजा प्राप्त किया जा सकता है।
मुआवजा के प्रकार और पात्रता
सड़क दुर्घटना में मुआवजा निम्नलिखित मामलों में मिलता है:
- घायल व्यक्ति के इलाज, दवा, आय व संपत्ति नुकसान के लिए।
- दुर्घटना में मृत्यु होने पर मृतक के आश्रित (पति/पत्नी, बच्चे, माता-पिता)।
- स्थायी विकलांगता (permanent disability) या अस्थायी चोट।
- वाहन/संपत्ति के नुकसान की स्थिति में वाहन मालिक।
कौन क्लेम कर सकता है?
- खुद घायल व्यक्ति
- मृतक के कानूनी वारिस
- संपत्ति का मालिक
- कानूनी प्रतिनिधि
कौन सा कानून लागू होता है?
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Motor Vehicles Act, 1988)मुख्य रूप से धारा 163A (नो फॉल्ट क्लेम), धारा 166 (फॉल्ट क्लेम) के तहत क्लेम किया जाता है।
बीमा और अनबीमित वाहन की स्थिति
- अगर गाड़ी बीमित है, तो बीमा कंपनी जिम्मेदार होती है।
- अगर बीमा नहीं है या वाहन अज्ञात है (Hit and Run), तो भी सरकार विशेष स्कीम के तहत सहायता (ex-gratia) देती है।
मुआवजा क्लेम प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप
1. दुर्घटना के तुरंत बाद पुलिस से संपर्क करें
FIR दर्ज कराएं।यदि संभव हो, दुर्घटना स्थल के फोटो और वीडियो सबूत सुरक्षित रखें।
2. मेडिकल रिपोर्ट और इलाज से जुड़े सभी बिल/दस्तावेज संभालें
इलाज का खर्चा और मेडिकल रिपोर्ट जरूरी है।मृत्यु की स्थिति में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाणपत्र।
3. MACT (Motor Accident Claims Tribunal) में आवेदन करें
- अपने जिले में स्थित एमएसीटी (MACT) कोर्ट में क्लेम फाइल करें।
- क्लेम फॉर्म और कोर्ट फीस, अधिकतर 10 रुपये के कोर्ट फीस टिकट।
4. जरूरी डॉक्यूमेंट्स:
- FIR की कॉपी
- मेडिकल/पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
- पहचान पत्र
- बैंक डिटेल्स
- बीमा पॉलिसी (अगर है)
- गवाहों के बयान/साक्ष्य
5. सुनवाई और निर्णय
- MACT सभी पक्षों को बुलाकर साक्ष्य और दस्तावेजों की जांच करता है।
- ट्राइब्यूनल पीड़ित की आय, उम्र, फैमिली पर निर्भरता, इलाज खर्च, मानसिक व आर्थिक नुकसान आदि के आधार पर मुआवजा तय करता है।
- सफल आवेदन के बाद तय की गई राशि सीधे पीड़ित के बैंक खाते में जमा होती है।
हिट एंड रन (Hit and Run) मामलों में मुआवजा
- अज्ञात वाहन द्वारा दुर्घटना में मृत्यु पर 2 लाख रुपये तथा गंभीर चोट पर 50,000 रुपये सरकार देती है।
- आवेदन फॉर्म-I भरकर उप-मंडल अधिकारी/तहसीलदार के पास देना होता है।
- सभी आवश्यक डॉक्यूमेंट और FIR की कॉपी आवश्यक है।
मुआवजा की गणना
- मृतक की आय, उम्र, आश्रितों की संख्या
- इलाज का खर्च, भविष्य की आय क्षति, मानसिक कष्ट, विकलांगता की गंभीरता आदि
- सुप्रीम कोर्ट/हाईकोर्ट ने क्लेम की गणना के लिए फॉर्मूले निर्धारित किए हैं
नोट: यदि मृतक आयकर रिटर्न भरता था, तो पिछले तीन वर्षों की औसत आय का 10 गुना तक मुआवजा मिलता है।[3]
बिना वकील के भी क्लेम संभव
- चाहें तो खुद आवेदन करें या किसी सरकारी लीगल सेवा प्राधिकरण (Legal Services Authority) या NGO की सहायता लें।
- वकील रखना जरूरी नहीं है, पर जटिल मामलों में सलाह झरूर लें।
एक्ट के तहत जुर्माने की मुख्य बातें (2025 के संशोधन)
- हेलमेट/सीट बेल्ट न पहनने, ड्राइविंग लाइसेंस या बीमा न होने, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट न होने पर भारी जुर्माना
- शराब पीकर गाड़ी चलाना, तेज़/लापरवाही से वाहन चलाना, मोबाइल पर बात करते समय गाड़ी चलाना आदि कड़े नियम
जरूरी टिप्स
- क्लेम फ़ाइल करने के लिए सभी दस्तावेज खुद संभालें, किसी बिचौलिए या दलाल से बचें।
- क्लेम छह महीने के भीतर डालना ज्यादा सुरक्षित है, हालांकि देरी होने पर भी उचित कारण देने पर क्लेम स्वीकार हो सकता है।
- सरकारी वेबसाइटों और MACT से प्रक्रिया के नए निर्देश लगातार देखें।
निष्कर्ष
भारत के मोटर वाहन अधिनियम के तहत सड़क दुर्घटना के बाद यदि सही प्रक्रिया, दस्तावेज़ और नियमों के अनुसार क्लेम किया जाए, तो घायल, मृतक के परिजन या संपत्ति मालिक को हर हाल में मुआवज़ा मिल सकता है। कठिनाई पर लीगल एड अथॉरिटी से भी निशुल्क सलाह ली जा सकती है। हर केस की स्थिति के मुताबिक ट्राइब्यूनल राशि का निर्धारण करता है और जितना जल्दी आप क्लेम प्रक्रिया शुरू करेंगे, उतना आसान और कारगर होगा.
डिस्क्लेमर: यह जानकारी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है, अधिकृत अथॉरिटी या वकील से पुष्टि अनिवार्य है।
